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३३ साल का बच्चा
महामना दिग्विजय सिंह से ज्ञान बोध हुआ की १९९३ में जब मुंबई में बम विस्फोट हुआ था, तब अपने फिल्म अभिनेता संजय दत्त सिर्फ ३३ साल के बच्चे थे. गहरायी से आत्मावलोकन कर इस निष्कर्ष पर पहुंचा की दिग्विजय जी हमेशा की तरह कडवी सचाइए ही बयां की है. यह अकाट्य सत्य है की गरीब का बच्चा बचपन से सीधे बुढ़ापे में प्रवेश करता है. जबकि अमीर की औलादें जवानी तक बच्चे और बुढ़ापे तक जवान रहते हैं . ईश्वर ने इसके बाद की कोई अवस्था बनाई ही नहीं. अब मे अपनी ही बात करूँ तो कॉलेज में पढता था, जब ` मैंने प्यार किया ‘ से सलमान खान , क़यामत से क़यामत तक से आमिर खान , सौगंध से अख्छय कुमार , और ओले- ओले टाइप किसी फिल्म से सैफ अली खान ने फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा था. तब ये सारे अभिनेता उम्र में मुझसे दो – पांच साल बढे ही थे. पर क्या बिडम्बना की जिम्मेदारी के बोझ तले मेरे दाढ़ी – बाल तेजी से पकने लगे. आँखों पर चस्मा चढ़ जाने से मे २० से ३० साल के बीच की उम्र में ही बुजुर्ग दिखने लगा. शुभचिन्तक मुझे ` तारकेश तुम तो बुजुर्ग हो गए ‘ कह कर चिढाने लगे. लेकिन सलमान हो या आमिर , फिर सैफ सभी आज भी युवा चुस्त और दुरुस्त हैं. ५० की उम्र में ससम्मान शादियाँ कर रहे हैं. बेबाकी से मीडिया को अपनी ` प्रेम कहानियां ‘ सुना रहे हैं. है ना अमीर और गरीब में फर्क. तो अपने दिग्विजय सिंह ने ३३ साल की उम्र वाले १९९३ के संजय दत्त को बच्चा कहा तो क्या गलत कहा. अब ५० साल की उम्र में संजय दत्त ने मान्यता से सदी कर जुदुआ बच्चों को जन्म दिया , तो निश्चय ही वे उनमे अपने बचपन को ढूँढने की कोशिश कर रहे होंगे . इसमें आखिर गलत क्या है. पता नहीं यह दुनिया अमीरजादों को कब समझेगी
तारकेश कुमार ओझा
सम्पर्क _09434453934
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