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jit ki haar

tarkeshkumarojha
tarkeshkumarojha
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जीत की हार
बचपन में एक कहानी पढ़ी थी। शायद उसका शीषर्क ` हार की जीत ‘ था। कहानी का सार यह था िक िकसी इलाके में एक महात्मा खड़ग िसंह रहा करते थे। संत होते हुए भी उनके पास एक शानदार घोड़ा था। उसी इलाके का डाकू सुल्ताना िकसी भी हालत में उस घोड़े को पाना चाहता था। सीधी अंगुली से घी न िनकलने पर डाकू ने दूसरा रास्ता चुना, औऱ छल से घोड़ा ह िथयाने की ठानी। कई प्रकार के स्वांग रचने के बाद उसने घोड़े की पीठ पर बैठ कर तफरीह का आग्रह िकया। िजसे खड़ग िसंह ने सहषर् स्वीकार कर िलया। लेिकन कुछ देर की सैर के बाद ही डाकू अपने पर उतर आया, औऱ वह घोड़ा लेकर भागने लगा। इससे हतप्रभ खड़ग िसंह सुल्ताना से उसकी एक बात सुन लेने की गुजािरश करने लगा। घोड़ा िकसी भी सूरत में न लौटाने की िजद पर अड़ा सुल्ताना खड़ग िसंह की बात सुनने को रुक गया। इस पर खड़ग िसंह ने इस घटना का िजक्र िकसी से न करने की अपील की। खड़ग िसंह ने अपनी आशंका जताते हुए कहा िक य िद लोग इस छल के बारे में जान गए, तो दूसरे पर भरोसा करना छोड़ देंगे। जो मानवता की बहुत बड़ी क्ष ित होगी। खड़ग िसंह की तरह मैं िनय ित के हाथों खुद को छला महसूस करता हूं। मेरी िनय ित से यही गुजािरश है िक जो मेरे साथ हुआ, वह िकसी और के साथ न हो। अन्यथा लोगों का अच्छाई व सच्चाई पर से भरोसा उठ जाएगा।

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