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मूंछ हिलाते रहेंगे भाई हमारे

tarkeshkumarojha
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मूंछ हिलाते रहेंगे भाई हमारे!!

बंगला में एक प्रसिद्ध कहावत है- दादा दुष्चिंताए मोरछे, भाई मोंछ नड़ाच्छे( बड़े भाई दुनियादारी की चिंता में दुबले हो रहे हैं, और छोटा भाई अपनी मूंछ उन्हें दिखा – दिखा कर पूछ रहा है, भैया यह चेहरे पर फब रहा है कि नहीं। कुछ ऐसी ही स्थिति है हमारे देश की जनता की। जो महंगाई , भ्रष्टाचार, लूट- खसोट, महिलाओं की असुरक्षा , बेरोजगारी और देश पर मंडराते खतरों से त्राहि – त्राहि की स्थिति में फंसी हुई है। वहीं हमारे कुछ अराजनीतिक राजनेता ऐसे हैं, जो इन सबसे बेखबर बस बयानबाजी में मशगूल हैं। जनता जाए भांड में , उनका तो बस रोज टीवी व अखबारों में छाए रहना ही जीवन का परम लक्ष्य प्रतीत होता है। ऐसे राजनेताओं में एक हैं कांग्रेस के कागजी शेर दिग्विजय सिंह। इन पर रोज कुछ न कुछ उटपटांग बोलते रहने की सनक सवार है। भले ही उससे देश के बहुसंख्य आबादी के जख्मों पर नमक ही क्यों न गिरती रहे। जनाब कभी गुमनाम से राजनीतिज्ञ थे। अपने राजनैतिक गुरु स्व. अर्जुन सिंह की बदौलत 90 के दशक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे। सौभाग्य से अपने गुरु की मदद के बगैर ही दूसरी बार भी मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे, तो इनका नाम भावी प्रधानमंत्री के रूप में भी पेश किया जाने लगा। इससे इनका हौसला कुछ इस कदर बढ़ा कि समय की गंभीरता को समझे बिना तीसरे चुनाव में मीडिया को बयान दे दिया कि मध्य प्रदेश में तीसरी बार कांग्रेस की सरकार नहीं बनी, तो वे सरकार या संगठन में कोई पद नहीं लेंगे। बस फिर क्या था. मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही जनाब राजनैतिक वैधव्य का शिकार हो गए। काफी दिनों तक इधर – उधर भटकने के बाद कांग्रेस ने इन्हें महासचिव बना कर उटपटांग बोलते रहने का दायित्व सौंप दिया। तब से यही कर रहे हैं। देश के दूसरे मूंछ हिलाने वाले एक और भाई भाजपा के शत्रुध्न सिन्हा है। अपने क्षेत्र की समस्याओं पर बोलते हुए इन्हें कभी किसी ने नहीं सुना। न तो आम आदमी के दुख -दर्द पर कभी बोलते इन्हें देखा गया। लेकिन व्यर्थ के मुद्दों जैसे आडवाणी व मोदी पर रोज  बम फोड़ते रहते हैं। हाइकमान  की नाराजगी की परवाह किए बगैर। कभी भाजपा की चूलें हिलाने पर आमादा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल आते हैं। खुद को हर किसी का बड़ा भाई, औऱ दूसरे को छोटा भाई बताने की आदत से परेशान नजर आते हैं। सवाल उठता है कि ऐसे अगंभीर राजनेताओं की अनर्गल बयानबाजी से क्या देश का कुछ भला होने वाला है। क्या यह चौतरफा समस्याओं से बेहाल जनता को चिढ़ाने जैसा काम नहीं है। प्रधानमंत्री किसे बनना चाहिए और किसे नहीं, यह सवाल कम से कम 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उठे, तो बेहतर है। लेकिन हमारे अराजनीतिक राजनेताओं के रवैये से लगता नहीं कि वे अपनी आदत से बाज आएंगे।
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।
तारकेश कुमार ओझा,
भगवानपुर,
जनता विद्यालय के पास
वार्ड नंबरः09
खड़गपुर ( प शिचम बंगाल)
पिन ः721301
जिला प शिचम मेदिनीपुर
संपर्कः09434453934इनलाइन चित्र 2इनलाइन चित्र 1

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