..तब तो नेहरू भी करते थे गुंडागर्दी, वसूलते थे रंगदारी!!
..तब तो नेहरू भी करते थे गुंडागर्दी, वसूलते थे रंगदारी!!
पश्चिम बंगाल की राजनीति में न्यायपालिका के साथ राजनेताओं का टकराव कोई नई बात नहीं है। कम्युनिस्टों के लगातार 34 साल के शासनकाल में हड़ताल व रैली आदि के मसले पर इसके नेताओं की न्यायधीशों के साथ भिड़त होती रहती थी। प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इसमें कमी आने के बजाय और बढ़ोत्तरी हुई है। सरकार के मंत्री आए दिन ऐसे बयान जारी कर रहे हैं, जो न्यायपालिका के खिलाफ माने जा सकते है। ताजा मामला राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्रा का है। बता दें कि कुछ दिन पहले यौनकमिर्य़ों द्वारा आयोजित दुर्गापूजा की अनुमति संबंधी मामले की सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि बड़े – बड़े पूजा आयोजनों के पीछे मंत्रियों का हाथ हैं। उनमें से कई गुंडों सरीखा आचरण करते हुए रंगदारी वसूल रहे हैं। इसके जवाब में पश्चिम मेदिनीपुर जिले के बेलदा में आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने आए राज्य के परिवहन व क्रीड़ा मंत्री मदन मित्रा ने टिप्पणी करने वाले न्यायधीश पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिस न्यायधीश ने यह टिप्पणी की है, किसी दिन कानून के कालेज में में लेक्चर देते हुए वे कहेंगे कि पंडित जवाहर लाल नेहरू भी रंगदारी वसूलते थे। बंगाल के आर्किटेक्ट माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री विधानचंद्र राय भी गुंडागर्दी करते हुए रंगदारी वसूलते थे। मंत्रीजी यही नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह दिया कि टिप्पणी करने वाले न्यायधीश अवश्य किसी जन्म में मंत्री रहेंगे होंगे, वर्ना उन्हें कैसे पता चला कि मंत्री गुंडागर्दी करते हैं, और रंगदारी वसूलते हैं। शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवतर्न की मांग करते हुए वे यहां तक बोल गए कि मुगालता पालने वाले सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ कर देख लें, उन्हें खाली मतपेटी के साथ वापस लौटना पड़ेगा। राज्य के एक मंत्री के ताजा बयान से राज्य में नया विवाद उठ खड़ा हुआ है।
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