अमेरिकी प्राध्यापक का दावा ः बंगलादेश की मुक्तियुद्ध के दौरान पाक सेना ने किया था एक करोड़ हिंदुओं का कत्लेआम …!!
अमेरिकी प्राध्यापक का दावा ः बंगलादेश की मुक्तियुद्ध के दौरान पाक सेना ने किया था एक करोड़ हिंदुओं का कत्लेआम …!!
1971 के बंगलादेश मुक्तियुद्ध से पहले पाकिस्तानी सेना ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर नरसंहार किया था। बंगाली हिंदुओं को इसका खास टार्गेट बनाया गया था। इसके चलते असहाय हालत में लगभग एक करोड़ हिंदुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।आश्चर्यजनक रूप से तत्कालीन भारत सरकार ने इस घटना को ज्यादा महत्व नहीं दिया था। यही नहीं तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भी इस ओर से नजरें फेरे रहे। अमेरिका के प्रिक्सटन विश्वविद्यालय के राजनीति व अंतरराष्ट्रीय विषयों को प्रोफेसर गैरी जे बास ने हाल में प्रकाशित अपनी पुस्तक में ऐसा दावा करके सनसनी फैला दी है।
विशेष ट्राइबुनल के जरिए मुक्तियुद्ध के अपराधियों को एक के बाद एक सजा सुना कर बंगालदेश सरकार जहां इस जख्म पर मलहम लगाने में जुटी है, वहीं गैरी की हालिया पुस्तक इस कड़ी में नया विवाद पैदा कर सकती है। दि ब्लड टेलीग्राम निक्सन किसिनजर एंड फारगेटेन जेनोसाइड नामक यह हालिया पुस्तक हंगामेदार साबित हो सकती है। यह पुस्तक हाल में अमेरिका में प्रकाशित हुई है। जिसमें करीब 40 साल पहले हुए बंगलादेश के मुक्ति युद्ध को ले कई सनसनीखेज दावे किए गए हैं। सिर्फ अमेरिकी सरकार ही नहीं तत्कालीन भारत सरकार की भी लेखक ने कड़ी निंदा करते हुए दावा किया है कि जब बंगालदेश में बड़े पैमाने पर हिंदुओं का नरसंहार हो रहा था, भारत सरकार इस ओर से पूरी तरह से उदासीन थी। क्योंकि इंदिरा गांधी नहीं चाहती थी कि इस मसले पर वर्तमान भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन संस्करण जनसंघ इसका राजनैतिक लाभ उठा सके। किताब में यह दाव भी किया गया है कि तत्कालीन पाकिस्तान जनरलों ने नरसंहार का खुला समर्थन किया था। किताब के मुताबिक उनकी दलील थी कि बंगालदेश में हिंदुओं की आबादी कुल जनसंख्या का 13 प्रतिशत है। इन लोगों के पाकिस्तान के खिलाफ वोट दिए जाने के चलते ही बंगलादेश की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ। भविष्य की बगावत को दबाने के लिए इनका नरसंहार जरूरी है। पुस्तक में दावा किया गया है कि पाकिस्तानी सेना जब बंगालदेश में नरसंहार कर रही थी, तब भारतीय अधिकारियों ने पीड़ितों की कोई मदद नहीं की। उनकी दलील थी कि गोला – बारूद देकर इनकी मदद करने से मामले का खुलासा हो जाएगा, और इसका राजनीतिक लाभ जनसंघ को मिलेगा। किताब में लेखक का यह भी दावा है कि ढाका में नियुक्त तत्कालीन अमेरिकी राजदूत आर्चर ब्लाड भी हिंदुओं के नरसंहार या विस्थापन को ज्यादा तूल देने के पक्ष में नहीं थे। जे बास ने अपनी किताब में लिखा है कि पाकिस्तानी सेना ने करीब एक करोड़ हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन तत्कालीन भारत सरकार हिंदुओं की मदद का कलंक अपने सिर नहीं लगाना चाहती थी। लेखक का दावा है कि तब पाकिस्तानी सैनिक मजाक में एक दूसरे से पूछते थे- आज कितने हिंदुओं को मारा …।
बंगला दैनिक वर्तमान से साभार
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