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tarkeshkumarojha
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क्यों न खुदाई का काम ठेके पर उठा दे सरकार .!!

सरकारी विभागों के कामकाज के तौर – तरीकों पर मेरी जनरल नालेज काफी कमजोर हैं। खाली पड़ी कुर्सियों के बीच दो – एक बाबुओं को अखबारों में डूबा देखा मैं अक्सर सोच में पड़ जाता हूं कि इसके माध्यम से आखिर सरकार अपना कौन सा उद्देश्य पूरा कर पाती होगी। पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा होने के चलते मेरा पाला अक्सर लोक निर्माण और शिक्षा विभाग से पड़ता रहा है। लेकिन इनके दफ्तर जाने पर यहां भी छाई मुर्दनी हैरानी में डाल देती है। समझ में नहीं आता कि जिस विभाग पर सड़क समेत अन्य निर्माण और नौनिहालों को पढ़ाने की जिम्मेदारी हैं, वहां यदि दोपहर के 12 बजे तक चपरासी भी नहीं पहुंचता, तो विभाग का काम-काज कैसे चलता होगा। देश का  पुरातत्व विभाग तो मेरे लिए और भी अबूझ पहेली की तरह रही है। लेकिन हाल में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिलांतर्गत डौंडियाखेड़ा में जमीन के नीचे कथित तौर पर टनों सोना दबे होने की खबर ने इस विभाग को रातोंरात लाइम लाइट में ला दिया। चैनलों पर विभाग के अधिकारी खुद कहते हैं कि हम जमीन की खुदाई उस तरह से नहीं करते, जैसा लोग सोचते हैं। बहरहाल सोने की तलाश में चल रही खुदाई ने पूरी सरकार को पसोपेश में डाल दिया है। सरकार खुदाई करवा भी रही है, और साथ ही यह भी जाहिर नहीं करना चाहती कि किसी साधु के स्वपन के आधार पर वह यह कार्य कर रही है। सपना देखने वाले बाबाओं की ईमानदारी की दाद देनी पड़ेगी। क्योंकि उनकी ओर से साफ कह दिया गया है कि यदि खुदाई में सोना नहीं मिलता है, तो वे सरकार को 10 लाख रुपए की राशि मेहनताने या हर्जाने  के तौर देने के लिए तैयार हैं। इसी के साथ जगह – जगह जमीन के नीचे सोना दबे होने के दावे भी सामने आने लगे हैं। इससे मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है कि क्यों न सरकार खुदाई के कार्य को पूरी तरह से ठेके पर उठा दे। पूरे देश में जिस किसी को लगता है कि कहीं जमीन के नीचे सोना दबा है, वे एक निश्चित राशि सरकार के पास जमा करा कर पुरातत्व विभाग से खुदाई करवा कर अपनी आत्मसंतुष्टि कर ले। सोना मिला तो सब का भला, और न मिला तो भी सरकार को घाटा नहीं। वैसे भी तो सरकार की माली हालत खराब ही है। ऐसा न होने पर गुंडे -बदमाश सोने की तलाश में जगह – जगह जमीन खोदेंगे। कहीं थोड़ा भी सोना उनके हाथ लग गया, तो उनकी बदमाशी बढ़ जाएगी, जिसका खामियाजा आखिरकार जनता को ही भुगतना पड़ेगा। फिर उनसे निपटने के लिए सरकार को अलग से धन व परिश्रम करना पड़ेगा। इसलिए सरकार को खुदाई का कार्य पूरी तरह से ठेके पर ही उठा देना चाहिए। इनलाइन चित्र 1

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